मेरी नबी की आंखों की शीतलता
उनकी देह एक विचित्र जैसे जैसी थीं। उनकी शीतलता मन को अंदर तक चुन देती थी, सत्य का एक श्रम बन जाती थी। उनके दृष्टि में सारी वस्तुएं झलकती
उनकी देह एक विचित्र जैसे जैसी थीं। उनकी शीतलता मन को अंदर तक चुन देती थी, सत्य का एक श्रम बन जाती थी। उनके दृष्टि में सारी वस्तुएं झलकती